राज्यपाल बेबी रानी मौर्य ने 11 विधायकों को पद व गोपनीयता की शपथ दिलाई। त्रिवेंद्र सरकार में तीन रिक्त पदों को भी इस बार भरा गया
उत्तराखण्ड /देहरादून। बुधवार को बतौर उत्तराखण्ड के नए मुख्यमंत्री की शपथ लेने के बाद शुक्रवार को तीरथ सिंह रावत सरकार के मंत्रिमंडल का विस्तार हो गया है। राजभवन में तीरथ कैबिनेट मंत्रियों को शपथ दिलाने का कार्यक्रम हुआ। राज्यपाल बेबी रानी मौर्य ने 11 विधायकों को पद व गोपनीयता की शपथ दिलाई। त्रिवेंद्र सरकार में तीन रिक्त पदों को भी इस बार भरा गया है। मंत्रिमंडल विस्तार के बाद अब तीरथ सिंह रावत को विधानसभा का सदस्य बनना होगा। अभी वह पौड़ी से लोकसभा सांसद हैं।
तीरथ सिंह रावत की कैबिनेट में 7 पुरानों चेहरों के साथ ही चार नए चेहरो को भी स्थान मिला हैं। जिसमें पूर्व भाजपा प्रदेश अध्यक्ष बंशीधर भगत, हरिद्वार ग्रामीण के विधायक स्वामी यतीश्वरा नंद, डीडीहाट से विधायक बिशन सिंह चुफाल और मसूरी विधायक गणेश जोशी को शामिल किया गया है।
तीरथ कैबिनेट में बंशीधर भगत, यशपाल आर्य, सतपाल महाराज, अरविंद पांडेय, हरक सिंह रावत, सुबोध उनियाल, बिशन सिंह चुफाल और गणेश जोशी को बतौर कैबिनेट मंत्री शामिल किया गया है। जबकि रेखा आर्य, धनसिंह रावत और स्वामी यतीश्वरा नंद को राज्यमंत्री के तौर पर शपथ ली। भाजपा हाईकमान और तीरथ ने गढ़वाल व कुमाऊं मंडल के विधायकों को प्रतिनिधित्व देकर प्रदेश में एक बैलेंस बनाने की पूरी कोशिश की है। भाजपा संगठन प्रदेश में अगले साल 2022 में होने वाले विधानसभा चुनावों पर पूरी तरह से फोकस किया हुआ हैं। तीरथ सिंह रावत ने बुधवार को मुख्यमंत्री की शपथ ली थी। तभी से मंत्रिमंडल में कई विधायकों के नामों की चर्चाओं का दौर शुरू हो गया था। मंत्रिमंडल में मंत्रियों को शामिल करने से पहले संगठन, सांसदों सहित विधायकों से विचार विमर्श किया गया, जिसके बाद कैबिनेट में शामिल होने वाले विधायकों के नामों पर मोहर लगाई गई। सूत्रों का कहना है कि पार्टी के सांसदों व विधायकों सहित पार्टी के वरिष्ठ नेताओं की राय शुमारी की गई है और उन मंत्रियों के नामों पर हाईकमान ने भी हरी झण्डी दी हैं जिसके बाद ही लिस्ट फाईनल हुई हैं। मंत्रिमंडल में पार्टी व तीरथ सिंह रावत ने क्षेत्रीय संतुलन का भी ख्याल रखा है। इसी के चलते पहाड़ और मैदान का भी संतुलन बनाने पर फोकस किया गया हैं। जिस तरीके से बदलाव देखने को मिला उससे साफ हैं कि कैबिनेट में संगठन की राय को खासी प्रमुखता दी गई हैं। पार्टी के पुराने नेताओं और कई बार के विधायकों को मंत्रिमंडल में प्राथमिकता दिया जाना इसका जीता जागता प्रमाण हैं।
अभी मंत्रिमंडल में शामिल मंत्रियों को पोर्टफोलियो नहीं बांटा गया हैं । सूत्रों का कहना हैं कि इस मामले में मंथन के बाद ही कोई निर्णय किया जाऐगा।