पुरोला साम्प्रदायिक घटना के खिलाफ माकपा ने भीड़ हिंसा एवं नफरत की राजनीति पर अंकुश लगाने के लिये जिलाधिकारी कार्यालय पर प्रदर्शन कर राज्यपाल को ज्ञापन प्रेषित किया

_
पुरोला साम्प्रदायिक घटना के खिलाफ
माकपा ने भीड़ हिंसा एवं नफरत की राजनीति पर अंकुश लगाने के लिये जिलाधिकारी कार्यालय पर प्रदर्शन कर राज्यपाल को ज्ञापन प्रेषित किया ।
एआईएमआईएम ने भी ज्ञापन सौपा ।
देहरादून 14 जून 023 ,
मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी ने आज पुरोला में साम्प्रदायिक तनाव के चलते अल्पसंख्यकों के पुरोला पलायन के परिणामस्वरूप तथा अल्पसंख्यकों के खिलाफ निरन्तर बयानबाजी तथा दुकानों को जबरन बन्द करवाने के खिलाफ राज्यपाल ,मुख्यमंत्री आदि को ज्ञापन प्रेषित किया ।ज्ञातव्य है कि हिन्दूवादी संगठनों द्वारा अल्पसंख्यक समुदाय के खिलाफ अर्नगल बयान के परिणामस्वरूप प्रदेशभर में फैल रहे तनाव पर अंकुश लगाने की मांग को लेकर जिलाधिकारी कार्यालय समक्ष प्रदर्शन किया तथा राज्यपाल के नाम प्रभारी जिलाधिकारी कार्यालय शालिनी नेगी को ज्ञापन दिया ।इस अवसर पार्टी के राज्यसचिव राजेन्द्र नेगी ,जिलासचिव राजेंद्र पुरोहित ,देहरादून महानगर सचिव अनन्त आकाश ,पछवादून सचिव कमरूद्दीन ,स्वतंत्र पत्रकार त्रिलोचन भट्ट ,पूर्व जिलापंचायत अध्यक्ष शिवप्रसाद देवली ,सामाजिक कार्यकर्ता गीता गैरोला ,महिला मंच की निर्मला बिष्ट , महिला समिति की उपाध्यक्ष इन्दुनौडियाल सीटू महामंत्री लेखराज ,एआई एम के नईम ,एडवोकेट विनोदकुमार मौहम्मद इन्तजार मलिक ,,नजाकत,पीएसएम के विजय भट्ट ,इन्देश नौटियाल,लक्ष्मी पन्त ,नुरैशा अंसारी ,सैदुल्लाह ,रविन्द्र नौडियाल ,रामसिंह भण्डारी ,यू एन बलूनी ,एन एस पंवार आदि बड़ी संख्या में पार्टी कार्यकर्ता शामिल थे ।
बिस्तृत ज्ञापन सलग्नक है ।
सेवामें ,
(1) महामहिम राज्यपाल
उत्तराखण्ड शासन
राजभवन देहरादून ।
(2) माननीय मुख्यमंत्रीजी
उत्तराखण्ड सरकार
देहरादून ।
(3) श्रीमान मुख्य सचिव महोदय
उत्तराखण्ड शासन देहरादून ।
(4) श्रीमान पुलिस महानिदेशक महोदय ,पुलिस विभाग
उत्तराखण्ड देहरादून ।
(5) श्रीमान जिलाधिकारी महोदय
देहरादून ।
बिषय :- भीड़ हिंसा एवं नफरत की राजनीति पर अंकुश लगाने के सन्दर्भ में ।
महामहिम /मान्यवर
भारत की कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी ) उत्तराखण्ड राज्य कमेटी आपका ध्यान नगर पंचायत पुरोला जनपद उत्तरकाशी,जहाँ दशकों से हिन्दु मुस्लिम परिवार आपसी सदभाव से अपना जीवन यापन कर रहे थे किन्तु 26 मई 2023 की घटना के बाद अब अल्पसंख्यक समुदाय के परिवार भारी मन से पुरोला खाली कर चुके हैं जिनकी संख्या लगभग दो सौ बताई जा रही है, उनका दशकों पुराना व्यवसाय एवं आशियाना उजड़ चुका है ।जो कि बेहद चिन्ताजनक है ।
महामहिम संविधान के अनुच्छेद 21 के अन्तर्गत राज्य हरेक व्यक्ति की रोजी रोटी की सुरक्षा के लिये जबाबदेह होगा किन्तु पुरोला वाले मामले में राज्य की भूमिका एकदम उलट है, यहाँ राज्य यानि सरकार की भूमिका न्यायोचित नहीं है । अनुच्छेद 21 में हर व्यक्ति को जीवन यापन का अधिकार देता है ,यदि उसकी रोजी रोटी कमाने में कोई बाधक बनता है तो राज्य ऐसे तत्वों के खिलाफ कार्यवाही करेगा तथा पीड़ित के शान्तिपूर्ण जीवन जीने का वातावरण सुनिश्चित करेगा । पुरोला की घटना के दिन व उसके बाद वहाँ का स्थानीय प्रशासन, पुलिस उपद्रवियों को रोकने के बजाय मूकदर्शक बना रहा । पुलिस के पास उपद्रवियों की वीडियोग्राफी होने के बावजूद भी उपद्रव का मुकदमा अज्ञात लोगों के खिलाफ लिखकर अल्पसंख्यकों में भय का माहौल बनाया गया तथा उन्हें उनके रहमोकरम पर छोड़ दिया गया ।पुरोला में उपद्रव करने वालों में किसी की भी गिरफ्तारी न होना दुखद है ।
महामहिम, हरिद्वार धर्म संसद में सुप्रीम कोर्ट के हेटस्पीच पर तल्ख टिप्पणी एवं कोर्ट के राज्य सरकार को आवश्यक दिशानिर्देशों की लगातार अनदेखी की जा रही है ।बल्कि स्वयं राज्य सरकार लव जेहादियों एवं लैण्ड जेहादियों के नारा को तुल देकर मुस्लिम समुदाय के खिलाफ दिख रही है ।
जबकि पुरोला घटना में प्रमुख अभियुक्त हि्न्दू समाज से है । महामहिम, आपकी डबल इन्जन सरकार ने चुनाव से पूर्व मतदाताओं से जो लोकलुभावन वायदे किये थे, जिसमें सबका साथ, सबका विकास तथा सबका विश्वास का नारा था किन्तु आपके कार्यकाल में बेरोजगारों की समस्या, अंकिता भण्डारी जधन्य हत्याकांड एवं जोशीमठ भूधंसाव तथा हल्द्वानी वनफूलापुरा बस्ती के आन्दोलन का सम्मानजनक हल न निकलना गम्भीर चिन्ता का बिषय है । पुरोला घटना से ऐसा सन्देश जा रहा है कि आपकी सरकार 2024 लोकसभा चुनाव को मद्देनजर साम्प्रदायिक ध्रुवीकरण के फिराक में है तथा भाजपा नेताओं द्वारा इस घटना को मुद्दा बनाकर उत्तरकाशी जिले के बड़कोट, चिन्यालीसौड़, नौगांव, डामटा, बरडीगाढ़, नेटवार, भटवाड़ी आदि अनेक कस्वों से लेकर राज्य के अनेक हिस्सों तक अल्पसंख्यक समुदाय के खिलाफ उग्र प्रदर्शन का नेतृत्व कर रहे हैं तथा सदियों से चले आ रहे साम्प्रदायिक सौहार्द को बिगाड़ने का कार्य कर रहे हैं ।
महामहिम, पहाड़ में हिन्दू एवं मुस्लिम आबादी का इतिहास काफी पुराना है ।बावजूद इसके जिम्मेदार लोगों द्वारा बार बार लवजेहाद एवं लेण्डजेहाद के नारा देकर पुरोला घटना का राजनैतिक लाभ उठाने के फिराक में हैं ।
महामहिम ,राज्य में धर्मांतरण जैसी घटनाओं को तबतक नहीं रोका जा सकता जब तक सदियों से अनूसूचित जाति, जनजाति के लोगों के साथ सामाजिक भेदभाव की घटनाऐं नहीं रोकी जा सकती । सरकार द्वारा समान नागरिक संहिता की तैयारी तथा पुरोला तथा अन्य जगह साम्प्रदायिक तनाव घटनाएं अन्ततःउसकी अलपसंख्यकों को असुरक्षित करती हैं ।
महामहिम ,हमारी पार्टी की स्पष्ट समझ है कि जो लोग अंकिता भण्डारी जधन्य हत्याकांड, जोशीमठ, बनफूलपूरा तथा बेरोजगारों पर बर्बर लाठीचार्ज मुद्दे तथा आपकी सरकार द्वारा भू कानून कमजोर पर कुछ नहीं बोले तथा पहाडियों की प्राईम लैण्ड जमीनों, धार्मिक एवं पयर्टन स्थलों की जमीने राजनेताओं एवं नवधनाढ्य द्वारा हड़पे जाने पर मौन रहे वे आज पहाड़ी गौरव, हिन्दुत्व स्वाभिमान के नाम पर राज्य में अशांति का कारण बन रहे हैं ।राज्य की भोलीभाली जनता को गुमराह करने पर लगे हुऐ हैं ।
महामहिम, इस आन्दोलन में एक ऐसा चेहरा भी है जिनका नाम दर्शन भारती है ,भगवा वस्त्र में जनता को भी भड़का रहा है, और पुलिस मुखिया के साथ बैठक करता देखा जा सकता है , सूत्रों से ज्ञात हुआ है कि इन्हें सरकारी संरक्षण मिला हुआ ताकि भाजपा को आगामी लोकसभा तथा स्थानीय निकाय चुनावों में राजनैतिक लाभ मिल सके ।वे हिन्दुत्व स्वाभिमान के नाम से पहाड़ में नफरत के बीज बो रहे हैं । पुरोला के बाद गौचर चमोली लवजेहाद के नाम से उपद्रव का केन्द्र रहा, इससे पहले पौड़ी नगरपालिका अध्यक्ष भाजपा के नेता की सुपुत्री शादी का प्रकरण तनाव का कारण बना रहा ।
महामहिम, पुरोला की दुखद घटना के पहले ही आपकी सरकार द्वारा राज्यभर में जंगलों में बने पुराने मजार /मस्जिद के नाम से अल्पसंख्यकों पर हमलों की लम्बी फैहरिस्त है । जबकि जंगलात की भूमि पर पहले ही 300 से भी ज्यादा मन्दिर मौजूद हैं । आपकी सरकार ने वनों के इर्दगिर्द आबादी तथा वन गुजरों बेदखल कर वनाधिकार कानून के तहत इनको मिले अधिकारों पर कुठाराघात किया है । और अब लैण्ड जेहाद के नाम से दशकों से ग्राम समाज तथा मलिन एवं कच्ची बस्तियों में बसे हिन्दू मुस्लिम, अनूसूचित जाति , जनजाति तथा गरीब श्रेणी के लोग सरकार एवं प्रशासन निशाने पर हैं । अब तक लैण्ड जेहाद के नाम से सैकड़ों परिवार उजाड़े जा चुके हैं, हजारों की सूची तैयार है अकेले देहरादून विकासनगर तहसील जो जमीनों हेराफेरी के लिये चर्चित है , यहाँ लगभग 5 हजार अतिक्रमणकारियों को सूचीबध्द हैं, जिनमें सभी गरीब परिवारों लोग हैं तथा डोईवाला तहसील भी इसी नक्शे कदम पर है, देहरादून में हजारों परिवार अतिक्रमण की जद में हैं ।उघमसिंहनगर में आयेदिन अतिक्रमण के नाम पर सैकड़ों परिवारों को बेदखल किया जा चुका है जिनमें फुटपाथ ,रेहड़ी ,ठेली व लघु व्ववसायी शामिल हैं ।
महामहिम , लैण्ड जेहाद के अन्तर्गत बड़े अतिक्रमणकारियों को सूचीबद्ध नहीं किया गया क्योंकि वे रसूखदार हैं या फिर सरकार के करीबी लोग हैं ।महामहिम, लव जेहाद एवं लैण्डजेहाद की आढ़ में साम्प्रदायिक तनाव के मुद्दे पर पिछले 9 जून 2023 को देहरादून सहित बागेश्वर, नैनीताल, ऋषिकेश, रामनगर, पौड़ी, टिहरी, कोटद्वार, अल्मोड़ा, चम्पावत, सल्ट, गोपेश्वर, गैरसैण, जोशीमठ, कर्णप्रयाग, श्रीनगर, लालकुआँ, हल्द्वानी, थराली, रुद्रपुर एवं अन्य शहरों में आपके नाम हमारी पार्टी , विपक्षी दलों तथा सामाजिक संगठनों ने ज्ञापन सौंपकर मांग की थी कि पुरोला शहर की 26 मई की घटना के बाद सरकार अपना क़ानूनी फ़र्ज़ निभाने के बजाय राज्य सरकार इस गैर संवैधानिक एवं नफरत के माहौल को लेकर पूरी तरह से मूकदर्शक है , हर नागरिक की सुरक्षा सरकार की ज़िम्मेदारी है लेकिन उच्चतम न्यायालय से बार बार सख्त आदेश मिलने के बाद भी राज्य के विभिन्न शहरों में सांप्रदायिक प्रचार होने के बावजूद सरकार कोई भी कदम नहीं उठा रही है।
हमारी पार्टी व्यापक जनहित में आपसे अपील करना चाहती कि :-
(1) उत्तराखंड में जिस तरह से भीड़ हिंसा और सांप्रदायिक उन्माद की घटनाएं सिलसिलेवार तरीके से हो रही हैं, वह बेहद अफसोसजनक है. इससे अधिक निंदनीय, उनमें शासन और प्रशासनिक मशीनरी की भूमिका है, जो किसी भी तरह इस तरह के उन्माद को रोकने की कोशिश नहीं कर रही है , जिनके निशाने पर राज्य में रहने वाले अल्पसंख्यक हैं ।
(2)इस संदर्भ में पुरोला का घटनाक्रम चिंताजनक और हैरत में डालने वाला है. पुरोला में दो व्यक्ति, एक नाबालिग बच्ची के साथ थे. आरोप है कि ये दोनों लोग नाबालिग को भगा कर ले जा रहे थे. आरोपियों में एक मुस्लिम और एक हिंदू हैं.   दोनों की गिरफ्तारी हो गयी. लेकिन ऐसा प्रतीत होता है कि धर्म के स्वयंभू ठेकेदारों को मौका मिल गया कि वे खुलकर उन्माद फैलाने की राजनीति कर सकें. घटना और उसमें कार्यवाही हुए आधा महीना हो चुका है. लेकिन उसके बावजूद पुरोला और पूरी यमुना घाटी में तनाव का माहौल बनाए रखने के प्रयास निरंतर जारी हैं. आरोपियों का किसी तरह का बचाव न किए जाने के बावजूद, निरंतर उग्र माहौल बनाए रखना और इसके लिए विभिन्न बाज़ारों को बंद रखना, एक सुनियोजित कार्यवाही प्रतीत होती है, जिसके निशाने पर अलसंख्यक समाज के वे लोग भी हैं, जिनका कोई अपराध ही नहीं है. सभी अल्पसंख्यकों की दुकानों पर दुकान खाली करने का पोस्टर चस्पा करना, असंवैधानिक,गैरकानूनी और आपराधिक कृत्य है. इस पर तत्काल रोक लगाई जानी चाहिए,पुरोला छोड़कर जा चुकी अल्पसंख्यकों की वापसी सुनिश्चित हो ,सरकार उनकी छति की भरपाई करे ।

(3)इससे पहले भी भीड़ हिंसा और सांप्रदायिक हिंसा की घटनाओं से निपटने में उत्तराखंड सरकार, प्रशासन और पुलिस का रवैया बेहद लचर रहा है. माननीय उच्चतम न्यायालय का आदेश है कि नफरत भरे भाषण के मामले में पुलिस स्वतः संज्ञान लेकर कार्यवाही करे. उत्तराखंड के पुलिस महानिदेशक को उच्चतम न्यायालय का आदेश याद दिलाये जाने के बावजूद 20 अप्रैल को हनोल में हुई धर्मसभा में दिये गए नफरत भरे भाषणों पर कोई कार्यवाही नहीं हुई है

(4)पुरोला की घटना की बाद भी अल्पसंख्यकों की संपत्ति को क्षति पहुंचाने की कार्यवाही एवं आह्वान हुए, अखबारों में इस आशय के बयान भी नाम सहित प्रकाशित हो रहे हैं. अल्पसंख्यकों को मकान न देने और उन्हें भगाने के आह्वान भी सार्वजनिक तौर पर हो रहे हैं. लेकिन यहाँ भी पुलिस का कार्यवाही न करने वाला रुख कायम है. यह खुले तौर पर उच्चतम न्यायालय के आदेशों की अवमानना है।

(5)भीड़ हिंसा, नफरत भरे भाषण और सांप्रदायिक उन्माद की घटनाएं प्रदेश में निरंतर फैलती जा रही हैं. उच्चतम न्यायालय के आदेश की अवमानना करके भी शासन, प्रशासन और पुलिस इन्हें रोकने के प्रभावी उपाय नहीं करना चाहती. यह कानून और संविधान के शासन के लिए बड़ा खतरा है.

हमारी पार्टी मांग करती है कि :-

★महामहिम,  कोई भी अपराध करे, उसके विरुद्ध कानून सम्मत कार्यवाही होनी चाहिए. लेकिन अपराध का फैसला, किसी भी सूरत में धार्मिक आधार पर नहीं किया जाना चाहिए और ना ही धर्म के आधार पर बने, धार्मिक घृणा के प्रसारक संगठनों को यह फैसला करने का अधिकार दिया जाना चाहिए ।

★ सत्यापन या कोई भी अन्य प्रशासनिक कार्य भी धार्मिक आधार पर न किया जाए.

★ पुरोला में सामान्य स्थिति बहाल करने और निर्दोष अल्पसंखयकों की रक्षा के लिए तत्काल ठोस उपाय किए जाएँ.

★ किसी को भी भीड़ हिंसा और नफरत फैलाने की अनुमति न दी जाये.

★ साथ ही राज्य सरकार द्वारा अतिक्रमण हटाने के अभियान को भी, जिस तरह से सांप्रदायिक विभाजन के औज़ार की तरह प्रयोग किया, उस पर भी तत्काल रोक लगाई जानी चाहिए.

★ उच्चतम न्यायालय द्वारा भीड़ हिंसा रोकने के लिए राज्य एवं जिला स्तर पर नोडल अफसर नियुक्त करने के निर्देशों का तत्काल प्रभावी तौर पर अनुपालन सुनिश्चित करवाया जाये ।
सहयोग की आशा के साथ ।

भवदीय

(राजेंद्र सिंह नेगी)
राज्य सचिव
सीपीएम उत्तराखण्ड
देहरादून ।

__

Leave a Reply

Your email address will not be published.