दिल्ली हाई कोर्ट ने एक महत्वपूर्ण फैसला देते हुए कहा कि एक बालिग महिला अपनी मर्जी से कहीं भी, किसी के भी साथ रहने के लिए स्वतंत्र
दिल्ली : दिल्ली हाई कोर्ट ने एक महत्वपूर्ण फैसला देते हुए कहा कि एक बालिग महिला अपनी मर्जी से कहीं भी, किसी के भी साथ रहने के लिए स्वतंत्र है।
बता दें कि एक परिवार ने अपनी बेटी को पेश करने के लिए दिल्ली हाई कोर्ट में बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका लगाई थी। परिवार का दावा था कि उनकी बेटी गायब हो गई है। लेकिन उक्त युवती ने कोर्ट के सामने पेश होकर बयान दिया कि वह अपने परिवार और घर को छोड़कर अपनी मर्जी से शादी करके अपने पति के साथ रह रही है। युवती ने सेक्शन 164 के तहत भी अपना बयान दर्ज कराया है।
जब कोर्ट के सामने यह बात साफ हो गई कि युवती गायब नहीं हुई बल्कि अपनी मर्जी से अपने पिता के घर को छोड़कर किसी व्यक्ति के साथ शादी करके रह रही है तो कोर्ट ने याचिका का निपटारा करते हुए कहा कि कोई भी बालिग महिला अपनी मर्जी से कहीं भी, किसी के भी साथ रहने के लिए स्वतंत्र है।
कोर्ट में पेश सबूतों को देखकर पता चला कि युवती का जन्म सन 2000 में हुआ है मतलब वह लगभग 20 साल की है और बालिग है। इसलिए उसके परिजन उस पर अपना कोई भी फैसला नहीं थोप सकते।
बता दें कि परिवार ने कोर्ट में याचिका दाखिल कर कहा था कि उनकी बेटी 12 सितंबर से घर से लापता है। परिजनों ने संदेह जताया था कि उसे कोई लड़का बहला-फुसलाकर ले गया है। कोर्ट ने मामले में पुलिस को जांच करने के आदेश दिए तो जांच में पता चला कि जिस लड़के पर लड़की के परिजनों ने शक जताया है उनकी बेटी ने उस लड़के के साथ शादी कर ली है। शादी दोनों बालिगों ने अपनी मर्जी से की है और लड़की ने इसको लेकर 164 में अपना बयान भी दर्ज कराया है। जब कोर्ट के सामने यह बात आई तो कोर्ट ने आदेश जारी कर कहा कि लड़की पर उसके परिजन घर वापस लौटने का कोई भी दबाव नहीं डालेंगे। कोर्ट ने पुलिस को भी निर्देश दिया कि वह दोनों को लड़के के घर पर लेकर जाएंगे, और उनके रहने की व्यवस्था करवायंेगे।
कोर्ट ने पुलिस को आदेश दिया कि लड़के और लड़की दोनों में से किसी के भी परिजन उन्हें धमकी देकर तंग न करने पाएं। कोर्ट ने जांच अधिकारी से कहा कि इस युगल को बीट कांस्टेबल का मोबाइल नंबर उपलब्ध कराया जाए और आगे भी नजर रखने अथवा किसी सहायता की जरूरत होने पर इन्हें तुरंत उपलब्ध कराई जाए।