उत्तराखण्ड के हरिद्वार जिले में कोरोना के लिए स्थापित बाबा बर्फानी अस्पताल में 65 लोगों की मौत के मामले को हरिद्वार प्रशासन ने छुपा दिया, और मौत के आंकड़ों का खेल किया
उत्तराखण्ड के हरिद्वार जिले में कोरोना के लिए स्थापित बाबा बर्फानी अस्पताल में 65 लोगों की मौत के मामले को हरिद्वार प्रशासन ने छुपा दिया, और मौत के आंकड़ों का खेल किया।
अब मामले का खुलासा हुआ तो अधिकारियों के पास जवाब देते नहीं बन रहा है। शासन मौतों के आंकड़े को लेकर दिशा निर्देश जारी कर रहा है, लेकिन हरिद्वार के अधिकारी अपनी नाकामी को छुपाने के लिए इतने बड़े आंकड़े को भी पचाने का काम करते रहे। जबकि अभी तक ऐसे अधिकारियों पर कोई कार्यवाही तक नहीं हुई है, जो कोरोना से मौत के आंकड़े छुपा कर बड़े मामलों को भी दबाने में एड़ी चोटी का जोर लगा रहे हैं। बाबा बर्फानी अस्पताल को कोविड के मरीजों के लिए स्थापित किया गया था, जिसमें कोविड के मरीजों का उपचार मिल रहा है। लेकिन 65 लोगों की मौत की अपनी नाकामी को छिपाने के लिए अधिकारियों ने मामला ही दबा कर रख दिया।
कोविड चीफ आफिसर अभिषेक त्रिपाठी ने मामले को गंभीरता से लेते हुए सीएमओ हरिद्वार व बाबा बर्फानी अस्पताल के सीएमएस को नोटिस भेजते हुए जवाब तलब किया है।
हरिद्वार के अधिकारियों ने अप्रैल से अब तक अस्पताल में हुई मौतों का आंकड़ा तक मुख्यालय को नही बताया। हरिद्वार के अधिकारी ऐसे गम्भीर हालातों में भी अपनी साख ऊंची करने के लिए कोविड जैसी गंभीर बीमारी में भी लापरवाही ही बरत रहे है।
आपको बता दें कि इससे पहले भी आम आदमी
अधिकारी ऐसे गम्भीर हालातों में भी अपनी साख ऊंची करने के लिए कोविड जैसी गंभीर बीमारी में भी लापरवाही ही बरत रहे है।
आपको बता दें कि इससे पहले भी आम आदमी पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता संजय भट्ट ने 5 मर्ड को एक प्रेस विज्ञप्ति जारी कर उत्तराखण्ड की बीजेपी सरकार पर कोरोना से मौत के आंकड़े छुपाने के गंभीर आरोप लगाया था। आप प्रवक्ता संजय भट्ट ने कहा था कि रुड़की के एक निजी अस्पताल में सोमवार देर रात यानी मंगलवार 4/5/21 1:30 ४7 बजे आक्सिजन की कमी से 5 मौत हरिद्वार जनपद के रुड़की में हो गई। जो कि दुःखद है, और उत्तराखण्ड सरकार की स्वास्थ्य व्यवस्था पर बड़ा प्रश्नचिन्ह खड़ा करता है। भट्ट ने कहा था कि लेकिन 4 मई 2021 की शाम 6 बजे उत्तराखण्ड स्वास्थ्य विभाग द्वारा जारी हेल्थ बुलेटिन में यह 5 मौत नहीं दिखाई गई। जबकि मौत व सभी आंकड़े पिछले 24 घंटो के बताए जाते हैं। लेकिन यहां 17 घण्टे बीतने के बाद जारी हेल्थ बुलेटिन से मौत के यह आंकड़े गायब हैं। यहीं नहीं 5 मई को भी यह 5 मौतें उत्तराखण्ड स्वास्थ्य विभाग के हेल्थ बुलेटिन से गायब रहीं।असल मे अब इंसान कोरोना से मरने के बाद सिर्फ एक आंकड़ा बन गया है, और सरकार लापरवाह। ऐसे में पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत का वो बयान जिसमे उन्होंने कहा कि “कोरोना भी एक प्राणी है, उसे भी जीने का अधिकार है।” कट सत्य प्रतीत होता है, क्योंकि इंसान तो मरने के बाद एक अदद आंकड़ा भी नहीं बन पा रहा है!